Reality and Mirage of Life
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जाना था कहीं दूर तो यूँ ही कह दिया होता
रुखसत लेने के लिए भी हमको बुला लिया
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न था कोई मतलब उनको मेरे जज्बात से
ये बताने के लिए भी एक ख़त लिख दिया
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कुछ भी न लेना देना था उसको मेरे सफ़र से
ये बताने के लिए भी वह मेरे साथ कुछ दूर तक गया
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दफन हो गए थे अपने रिश्ते ज़माने से
इसका जिक्र भी उसने फेस बुक पर कल रात को किया
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शोले पे रख राख़ डालकर बुझने को छोड़ते
हवाओं को इशारा तुमने इस ओर का किया
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सर्द बर्फीली जमती फ़िज़ाओं में हम रहने लगे थे
एक दिया कहीं दूर जला दिया
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