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जो आज सोयेगे – कल अपने बच्चो को मिस्र देंगे- jagran junction forum

Reality and Mirage of Life
Reality and Mirage of Life
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1. क्या अन्ना और उनकी टीम द्वारा चलाया गया आंदोलन अपनी प्रासंगिकता खो चुका है?

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आज बच्चो को स्कूल ले जाती एक बस, ड्राईवर के ट्रक के सामने आने से , नियंत्रण खोने से खाई में गिर गयी |
कारण:-
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार बार निर्धारित किये गए एक भी कायदे को पूरा नहीं किया गया | ८ बच्चों को बैठाने की जगह २९ बच्चे | फर्स्ट ऐड बाक्स नदारद | कंडक्टर और स्कूल स्टाफ मौजूद नहीं | बस को सफेटी प्रमाण पत्र नहीं | यह सब सहूलियत आपको मिलती है आपको थोड़ी सी सुविधा शुल्क , इन चीज़ों को चेक करने वालों को, देने से |
कोल कता के सुपर स्पेसिलिटी हॉस्पिटल में आग लग जाने से गहन चिकित्सा क क्ष में life support में बंधे मरीजों का घुट घुट कर मर जाना
कारण :-
कुछ लेन देन करके safety प्रमाण पत्र मिल जाने से , निरिक्षण करने आये अमले को रिश्वत दे दो |

पोलिओ की बुँदे पीते ही बच्चे बुखार आकार अकड़ गए और बुखार आया और हालत गंभीर हुई और बचाए न जा सके

कारण :-
कोल्ड श्रंखला को ठीक ठाक न रखने से दवाई दूषित हो गयी , फिर वही कोताही ,

नकली दवाई जान पर भरी पड़ी

drug inspector नियमित किश्त उठा रहे है कोई ईमानदारी से निरिक्षण नहीं | मावे में मिलावट , जहरीली शराब कितने आदमी मरे कोई गिनती नहीं , कितने घर के चूल्हे बुझे पता नहीं | कितनी आत्महत्या हो गयी पैसा नहीं दिया नौकरी नहीं मिली | जबलपुर में तो मेडिकल छात्राएं अपनी अस्मत का सौदा करके पास होने को मजबूर हो गयीं और आप विश्वास करेंगे वे आगे डाक्टर बनेगी |
कारण? कारण? कारण ?
भ्रष्टाचार का दावानल , निगल रहा पुरे समाज को

कही drug माफिया, देश की सुरक्षा बेचते agent कारण , रिश्वत सीधे स्विस बैंक खतों में
आर टी आई कार्यकर्ता मौत के घाट
कारण :
भ्रष्टाचार जिसका संरक्षण या सीधी लिप्तता सीधे मंत्रिओं राजनीतिज्ञों की |
इन्ही के द्वारा दिया जा रही दलील है जो जागरण जंक्शन द्वारा हमारे सामने भी रखी गयी है ?
इस आन्दोलन की प्रासंगिकता को ही प्रश्न चिन्ह लगाना ऐसा लगा जैसे कोई अमेरिका की agency सर्वे करा रही हो जो इस हिंदुस्तान में न रहती हो और जिसे न पता हो की भ्रष्टाचार का नासूर किस कदर आम भारतीय की जिंदगी बर्बाद कर रहा है | कभी कभी न दिखाई देने वाले तरीकों से नर संहार कर रहा है |
में क्या निर्णय दूँ प्रासंगिकता पर ??? हो सकता मंच पर उपस्थित लोग भी मन ही मन आक्रोशित हों पर भावावेश रोककर संयमित होकर मुझसे अच्छा उत्तर आपको दें|

2. क्या इस आंदोलन के कारण ही सरकार को लोकपाल विधेयक लाने पर मजबूर होना पड़ा?

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४२ वर्ष के कुम्भ्करनी नींद से अचानक जागने के कारण सकपकाहट में सरकार हबड़ तबड़ में लोक पाल का नाम देकर एक puppet या बिजुका ले कर आगई | कोई भी नादान बता देगा की अन्ना की अचानक हुकार और लाखों की स्वतः स्फूर्त भीड़ से डर कर फौरी तौर पर सारे वायदों का पुलिंदा लिखित में देकर दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंची | यह राजनितिक जमात किस कदर निक्कमी और मक्कार है आम आदमी रोज़ हर चौराहे , हर शराब के ठिकाने पर इसकी ताज्दिक करता है , पर जुगाली करके सिस्टम को गाली देते हुए पण की पीक में थूक कर बढ जाता है | शायद शराबखाने की इज़ाज़त अन्ना के आस पास बिलकुल नहीं है पर यह भी सही कि समाज के दिए दर्द, आक्रोश , system का सड़ा गला पन साफ साफ यहीं सुनाई देता है | हर जगह भ्रष्टाचार की कहानी और उससे पैदा सामाजिक विद्रूप रोज़ दिखाई देते है | रूस की क्रांति से सम्बन्धित साहित्य दबी कुचली जनता में शराब और मार पीट का कारण उनके अन्दर सिस्टम के खिलाफ पल रहे आक्रोश की परणित को माना है |

3. मुंबई में आंदोलन को स्थगित करने का क्या मतलब निकाला जाना चाहिए?

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निश्चित ही अगस्त में सरकार को यह समय नहीं मिला की वह जनता के सामने कोई पेंच ऐसा डाल पाती | पर इन चार माह में बजाय भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कानून बनाने की कोशिश के उन्होंने इस मामले को विभिन्न दिशाओं में भटकाने की कोशिश की | इस भ्रष्टाचार के महासमुन्दर में उन्होंने अन्ना के नजदीक लोगों में छोटी खामिया उजागर करवाई | इसमें हर बार की तरह सरकार की जी हजुरी मशगुल सरकारी तंत्र \ Income Tax / CBI में मिल ही गए | आंदोलनों का एक धार पर चलना लगभग मुश्किल है | यह स्थगन अब जनता को देना इसलिए जरुरी हो गया है क्योंकि घटनाये जिस तेज गति से घूमी उसमें कई बार आन्दोलन दिशाएं और उनका निर्धारण कर पाना दिल से हिंदुस्तान के लिए कुर्बान करने वाले अन्ना के बस में भी न रहा | अब कहीं कहीं वही जनता जो एक दिन शिव सेना के डर से , खास तौर से bollywood मुंबई में अनशन की जगह नहीं पहुंचा , उन्ही भ्रष्ट अफसरों के तलबे चाटें और बार बार ओने समय ख़राब करें जो निश्चित ही कड़े कानून के बनाने से डरते | जनता अन्ना के absence के vacume को तब फिर महसूस करेगी जब भ्रष्टाचार की कोई करतूत उनसे उनकी जिंदगी इज्ज़त मांगने पर उतारू होगी |

4. इस आंदोलन के दूरगामी परिणाम के विषय में क्या कयास लगाया जा सकता है?

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इस आन्दोलन का दूरगामी अर्थ शायद हर सरकार ही नहीं इस व्यवस्था के लिए चेतावनी भरा ही है \ एक बार उठा जन सैलाव जिसे व्यक्तिओं पर चारित्रिक हमले कराके फौरी तौर पर रोका गया है | हर रोज भ्रष्टाचार के शिकार होने पर पहले से अन्ना द्वरा जनमानस के दिमाग में डाली बात से पुनर्जाग्रत हो जाएगा | आंदोलनों को सकारत्मक न लेने का रवैया हर निरंकुश सरकार में होता ही है | प्रतिफल में होती है हिंसा और उस ज्वाला का रूप इतना बड़ा और मंजर इतना खतरनाक होता है जब गद्दाफी जैसा शासक गली में कुत्तों की तरह मरता है पर विभीषिका यह है की आधी से ज्यादा जनता हिंसा से प्रभावित होकर अपना कोई न कोई सदस्य खो देती है | अभी वक़्त गया नहीं जब आम आदमी इसे पूजा की तरह अपना धर्म माने की जब अन्ना अनशन पर हों तो कमसे कम चुपचाप सड़कों किनारे खड़े रहना वाहन नहीं रोकना मरीज को इलाज को जाने देना, बस कागज पर कहना अब करप्शन और नहीं |

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