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चक्रव्यहू में अभिमन्यु

Reality and Mirage of Life
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आज शायद स्वाधीन भारत के इतिहास का काला पन्ना साबित होने जा रहा है| ४२ साल से लोकतंत्र में मक्कारी करने वाले, एक सच्चे भारतीय को जो एम् एम् आर डी ऐ मैदान में भूखा प्यासा और निमोनिया के कारण १०४ डिग्री तप रहा है उस व्यक्ति को, राजीनीतिक कुचक्र से कुचलने जा रहे हैं | जिसके लिए यह व्यक्ति रोज़ अपनी जान लगा रहा है, यह शर्म की बात है कि यहाँ का अवाम सो रहा है | अन्ना को शायद यह ध्यान नहीं रहा होगा कि गाँधी को अंग्रेजों के सामने अनशन करना था जोकि आजके नेताओं से जिन्हें हम ही से चुनवा लिया जाता है, धोके से और दबंगई से, कही ज्यादा निक्रष्ट है | यही कहा जा सकता है कि इस समय यहाँ का युवा खून पानी हो गया वर्ना यूँ ही यह खून का घूंट न पी जाते | यह एक निर्णायक मोड़ भारत के सामने आ खड़ा हुआ चूँकि इस तरह का माहोल कई दशक में आया है जब भारतीय जनता किसी सर्वमान्य नेतृत्व को स्वीकार कर आगे बढ रहा था | इस आन्दोलन का राजनितिक कुचक्र में बिखर जाना अब इस बात को तय करेगा कि लम्बे समय के लिए हम उसी भ्रष्ट सिस्टम मेंरहने को तैयार रहे जिसे आज़ादी के बाद से भुगतते रहे है | राजनितिक जमात ने जो खेल तमाशा संसद और बैठकों में दिखाया उससे साफ़ है कि वे अपने खिलाफ ऐसा बिल कैसे ले आयें जिसके आती ही सारे सांसद और मंत्री जेलों में जाने को मजबूर हा जाएँ | लोगों कि बेशर्मी ही होगी कि वे अन्ना जोकि उनकी लड़ाई लड़ रहा है उसको जब नीचता कि हद पर चुके नेता गाली दे रहे हैं तो वे नए साल का जश्न मनाये | मरे जमीरों के बीच अन्ना ने यह बड़ी भूल की वह यहाँ अलख जलने चले आये | जो समाज खुद इस समय घर में बैठकर अपने लिए दूसरों से लड़ने की आशा रख रहा है उसकी आने वाली पीडिया इसे भुगतेंगी | यहाँ के नौनिहाल आजके युवा की तरह नौकरी न मिलने पर आत्म हत्या को मजबूर होगे | किसान अपने ही खेत पर कीटनाशक खाकर मर जायेगा | सरकारी पक्ष में नपुंसक नेताओं का काम वहां राजकुमार की हर भाव भंगिमा के अनुसार हाँ हजुरी में लग जाना है यही उनका राजनितिक धर्म है | आज की राजनितिक बिरादरी अपने को अभिजात्य मानती है उनका जनता को आदर करने कोई इरादा नहीं है | यहाँ सारे अधिकार नेताओं के हैं | एक चांटा यदि भ्रष्ट बहुदे नेता को पड़ जाये तो संसद से लेकर पूरे हिंदुस्तान में उसे लोकतंत्र पर हमला मान लिया जाता और भर्तसना पर भर्तसना शुरू हो जाती है | आम आदमी अपनी मांग लेकर जाती है तो नेताओं के गुंडे मार मार कर अधमरा कर देते है, तब किसी के पेट में इतना दर्द नहीं होता | राजनितिक गल्यारों में औरतों का इस्तेमाल चारे तरह हो रहा है और कितनी भंवरी जाने कहाँ किन परिस्थ्तिओं क़त्ल हो रही हैं | आम आदमी रोज़ उन लोगों की कबड्डी देखने को मजबूर हैं जो पैसे और बहुबल से पहले खुद को चुन्वाते हैं फिर अपनी हैसियत ओहदे को सविधान से जोड़कर आम जनता को हडकाते दिखाई देते हैं | किसी राजनितिक पार्टी को इस समय भ्रष्टाचार से लड़ने की नहीं अपनी अपनी चालों से सत्ता सुख भोगने की चाह है | जब अपने भत्ते बडवना हो या अपनी तनख्वाह और जिंदगी भर पेंसन की व्यवस्था जनता की जेब डाका डालकर करना हो तो गज़ब का भाईचारा सभी सांसद विधायक दिखाते हैं | चक्रव्यहू में फंसकर जन लोकपाल अभिमन्यु की तरह कल की सुबह नहीं देख पायेगा और सभी उस समय के धरतीपुत्र , गुरु द्रोण और आज के हम जैसे निष्क्रिय किंकर्तव्य विमूड लोग खड़े खड़े तमाशा देखते रहेंगे |

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