Reality and Mirage of Life
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अब तो कुछ अंजाम निकलना चाहिए
इन बियाबान जंगलों में राह मिलना चाहिए
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अब जुगनुओं की रौशनी से काम चलना नहीं है
अब सूरज रथ पर सवार बिजलियाँ चमकना चाहिए
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आसमां पैदा नहीं करते अवतार या भगवान हैं
धरती पुत्र ही लुटाकर जान अपनी बनते महान हैं
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आवाजों की गूंज से दीवारें यहाँ कंपने लगी है
लहरों की लय में, वलय कुछ, ज्वार भाट बनने लगे हैं
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इस दीवार की काई पर दूध की धार अब दिखने लगी है
इन चिंगारियों की तपिश से आग अब धधकने लगी है
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