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कोई बारिश भिगो पाती नहीं है
कागज नाव दूर तक जाती नहीं है
चाँद में सूत कातती बुढ़िया नहीं है
टूटते तारे है किसके खबर आती नहीं है
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डुग डुगी बजा बायस्कोप दिखता वो बाबा
नुमायश से लाना मिटटी के सिपाही, वो राजा
बुढ़िया के बालों का गोला वो खाना
गुम हुए बच्चे का मां से मिल जाना
मिलता नहीं अब इन सब का ठिकाना
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लम्बे गर्मी के दिन, पेड़ों पे झूले
एक पैग मारे तो, आसमां ये छू लें
धूल के गोले, उठते वो अंबार
भूत होने का पक्का एतबार
अब कही मिल जाये फिरसे एकबार
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गर्मी की रातों में छत पे वो सोना
सब लेके आते थे अपना बिछोना
अगल बगल छतों पे दिखते थे चहरे
असमान में लगते थे सितारों के मेले
कहाँ अब मिलेंगे वो खुशिओं के रेले
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बंद कमरों में तकरार अब होती है
ग़मों की हरदम ही बरसात बस होती है
फेस टू फेस अपनी बातें कहाँ होती है
फसबुक पे दुनिया जहाँ की बातें यहाँ होती है
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हँसने मुस्कराने के क्लब हैं खुल गये यारों
घर के चारों प्राणी वहीँ कल मुस्करायेंगे यारों
रिश्ते भी नुमाइश किये जायेंगे अब “राज ”
बिना किसी प्रयोजन के हाथ न मिलायेंगे आज
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