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कोई बारिश भिगो पाती नहीं है

Reality and Mirage of Life
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nature012

कोई बारिश भिगो पाती नहीं है

कागज नाव दूर तक जाती नहीं है

चाँद में सूत कातती बुढ़िया नहीं है

टूटते तारे है किसके खबर आती नहीं है

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nature026

डुग डुगी बजा बायस्कोप दिखता वो बाबा

नुमायश से लाना मिटटी के सिपाही, वो राजा

बुढ़िया के बालों का गोला वो खाना

गुम हुए बच्चे का मां से मिल जाना

मिलता नहीं अब इन सब का ठिकाना

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.vincent series13

लम्बे गर्मी के दिन, पेड़ों पे झूले

एक पैग मारे तो, आसमां ये छू लें

धूल के गोले, उठते वो अंबार

भूत होने का पक्का एतबार

अब कही मिल जाये फिरसे एकबार

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.Nature

गर्मी की रातों में छत पे वो सोना

सब लेके आते थे अपना बिछोना

अगल बगल छतों पे दिखते थे चहरे

असमान में लगते थे सितारों के मेले

कहाँ अब मिलेंगे वो खुशिओं के रेले

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.nature013

बंद कमरों में तकरार अब होती है

ग़मों की हरदम ही बरसात बस होती है

फेस टू फेस अपनी बातें कहाँ होती है

फसबुक पे दुनिया जहाँ की बातें यहाँ होती है

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,vincent series2

हँसने मुस्कराने के क्लब हैं खुल गये यारों

घर के चारों प्राणी वहीँ कल मुस्करायेंगे यारों

रिश्ते भी नुमाइश किये जायेंगे अब “राज ”

बिना किसी प्रयोजन के हाथ न मिलायेंगे आज

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