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मैजिक दिखाकर बने सत्य साईं,पर अंत में कोई मैजिक काम न आया_- jagran Junction forum

Reality and Mirage of Life
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24 अप्रैल, 2011 को प्रातः काल पुट्टपर्थी वाले श्री सत्य साईं बाबा का देहावसान तो हो गया लेकिन उनकी मृत्यु के बाद भी विवाद उनका साथ छोड़ने को तैयार नहीं. श्री सत्य साईं बाबा जीवन भर आध्यात्मिक और समाजसेवी व्यक्ति के साथ ही विवादित व्यक्तित्व के रूप में भी चर्चित रहे. उनके धार्मिक और सामाजिक कार्यों के कारण जितने लोग उनके मुरीद बने उतनी ही संख्या में उन पर आरोप लगाने वाले भी मौजूद रहे हैं. भारत सहित विश्व के अनेक देशों में उनके द्वारा तमाम स्कूल, अस्पताल सहित कई कल्याणकारी संस्थाएं स्थापित की गईं लेकिन साथ ही उन पर व्यभिचार के आरोपों सहित लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने के भी आरोप लगाए गए.जागरण जंक्शन आप सभी पाठकों से इस मुद्दे पर अपने विचार प्रस्तुत करने का अनुरोध करता है. इस बार का मुद्दा है:

किसी भी व्यक्ति का स्वयं को भगवान के रूप में प्रतिष्ठित करवाना कहां तक सही है? क्या वास्तव में चमत्कारों के नाम पर लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जाता रहा है?

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ऊपर की पंक्तिआं जागरण की टीम द्वारा बहस के मुद्दे के लिए दिए है

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कई तरह की जंजीरों से मानव मष्तिस्क को मुक्ति की आवश्यकता है | विचारवान होना हमेशा ही शूलों के ऊपर चलने जैसा है तो क्या भ्रम और मायाजाल ओढ़कर शांति से अर्ध्सुप्त जीवन कट लिया जाये | मैं सत्य साईं के मानवता के लिए कार्य का कायल हूँ पर दुःख होता है कि यह सब हासिल करने के लिए उन्होंने कभी जादू से फूलों को बिखेर कर जमीं नाम शिर्डी के साईं का नाम लिखा और कभी जादू से फल पैदा करके बनते | एक जादूगर शायद कोई शपथ लेता है कि अपनी कला को कभी चमत्कार नहीं बताता | स्वयं बता देता है कि जो भी कुछ हो रहा वह उसके हाथों कि सफाई है | कोई दैवीय शक्ति नहीं है | ऐसे जादूगर अपने को झूठ न बोलने की शपथ के कारण केवल कुछ यश व अर्थ कमा पाते है | तंत्र मंत्र व चमत्कारों का गहरा प्रभाव जन मानस पर इतना पड़ता है की सभी मन्नते मांगते रहते हैं वो भी अपने बच्चों के लिए या अपने खुद के लिए | कैसा स्वार्थ है हम पडोसी के लिए कभी मन्नत नहीं मांगते है | लोग शक्ति के द्वारा मन्नत मिल जाने की धारणा बैठाये रहते है | होता यह है की जब व्यक्ति अपने विश्वास को बढ़ा लेता है तो स्वयं ही काम करने की उर्जा शारीर में पैदा हो जाती है | सोच और विश्वास का असर कैसे होता है इसका बहुत सटीक अनुभव, जो कोई भी कर सकता है मैं बताना चाहूँगा | चिकित्सा की आज इतनी प्रगति हो गयी हर कि हर कोई इलाज से पहले परीक्षण करके जानना चाहता है कि उसे शत प्रतिशत क्या है | पर क्या आपको पता है कि इलाज में प्रयोग की दवाओं का असर उन मरीजों को जल्दी होता जो अपने डाक्टर पर अगाध श्रधा रखता है | कई बार यह असर जादू की तरह होता है | क्या कभी सोचा यह किस स्तर पर होता है | यह होता है मन के विश्वास से | लोगों के विश्वास के असर को परखने के लिए कई प्रयोग किये गए है जैसे एक भविष्य फल बहुत से लोगों में बांटे गए | उन सब से कहा गया कि उनकी राशी व जन्म का समय जानकर इसे प्रसिद्ध भविष्यविद ने बनया है| इसके परिणाम चौकाने वाले थे क्योंकि इसमें शामिल सभी लोगों को लगा जैसे भविष्यफल केवल उनका ही है | कभी तो इस प्रकार अतिविश्वास अनायास ही समूह में पैदा हो जाते हैं और फिर इनकी गिरिफ्त में शहर तो क्या देश तक आ सकता है | मैं उन सब विश्वास करने वालों के सच्चे मन का अपमान नहीं करना चाहता हूँ | वह तो इतना भोला है कि कि जैसा बच्चा जैसा और इसमें मुझे कोई शक नहीं कि वे अपने इस गुण से ही, लाभान्वत होते रहे और शांति प्राप्त करते रहे | मनुष्य मनुष्य के बीच बड़ते हुए अविश्वास या कहे यथार्थ में कहीं विश्वास जैसी बात ही न हो तो एक ऐसा अशक्त व शंकालु समाज एक भ्रामक संसार या एक मायावी संसार में उसे ढूंढता है | हमेशा जो जबाब हम लोग चाँद सितारों आत्मा परमात्मा मंत्र तंत्र खगोल में ढूंढते वह बहुत नजदीक ही होता है | मैंने जब पाश्चात्य सभ्यता के लोगों या अब अपने भारत में भी आपसी रिश्तों में आयी खटाश को कम करने के लिए कभी पालतू जानवरों या पेड़ पोधों से प्रेम करने लगता है | इसी क्रम में जहाँ तमाम लोग तिल तिल मानवीय संवेदना की घटते दौर से गुजरते हर आदमी छद्म दुनिया को स्वीकार करने को तैयार है | तिलिस्म और चमत्कार का तथ्य शायद बाबा को पहले ही समझ में आ गया था और उन्होंने अपने भक्तों को बार बार यह जादू करके भी दिखाया | हो सकता है उनकी मंशा सही रहा हो पर जो सब वह करते थे वह मिथ्या और झूठ था | इस मायावी संसार को रचने वाले की असली मंशा यदि मानवता की सेवा करना थी तो यह प्रशंशा योग्य है | पर खतरे इसके आगे है जब यही रूप गरीबों अमीरों सबकी आस्था के साथ खिलवाड़ करके पता नहीं क्या क्या कुक्र्तय कर दे | कई बाबाओं ने भगवा कि आड़ में विकृत महिलाओं की सेक्स कि पूर्ति कि है | इस मंच पर अखिल भाई ने लिखा “सिर्फ गणमान्य व्यक्तियों के कह देने भर से अगर कोई भगवान बनता है, तो वो सिर्फ उनके लिए भगवान् हो सकते है सब के लिए नहीं.” अभी मनमोहन व सोनिया बाबा के अंतिम दर्शन को जा चुके है और उसके उलट अवीन पाण्डेय जी ने ब्लॉग में योगदान करते लिखा है “भारत की जनता इतनी बेवकूफ नहीं है जो कोई कुछ कहे और उसे मन ले…भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ,सोनिया गाँधी जैसे शख्स का उनके अंतिम दर्शन के लिए जाना इस बात का पलटवार जवाब है ” यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि नेता उस हर जगह सर झुका सकता जहाँ जाने से बैठे ठाले जनता या वोटर की सहानभूति उसे मिल जाये | आज का समय कुछ ऐसा है देश कह रहा कि मेरा नेता चोर तब यह नेता उस हर जगह जायेंगे जो उनके चरित्र को मरहम लगा सकती हो |विनय भट्ट जी के विचार इस मंच आये “यंहा पर कई लोग अभी भी अंधभक्ति में डूबे हुए हैं ! 1918 में शिर्डी के साईं बाबा ने इस संसार को छोड़ दिया था.. उनके बारे मैं मैं कह सकता हूँ की वो वाकई एक महान आत्मा थे ..सारा जीवन उन्होंने भक्ति और लोगों के दुःख दूर करने लगा दिया..स्वयम बाबा कुटिया या मंदिरों में रहते थे ..घूम घूम कर लोगों के दुःख दूर करते थे ..उनके मानने वाले सारे भारत वर्ष में हैं.और रहेंगे.. जबकि सत्य साईं ने स्वयम को साईं अवतार घोषित किया ..चमत्कार तो सड़क पर मजमा लगाने वाला मदारी भी करता है ..उन्होंने अपना जीवन महलों में बित्ताया और एक ही क्षेत्र तक सिमित रहे मैं उत्तर भारत से आता हूँ और मैंने इस क्षेत्र में उनका कोई प्रभाव नहीं देखा ..उन्होंने हो सकता है कई भलाई के काम किये हों माना जा सकता है..केवल क्षेत्र विशेष में ..तो उनको मानने वालों में अंतर हो सकता है…लेकिन भगवान नहीं हो सकते ..इस कलयुग में किसी इंसान को भगवान नहीं माना जा सकता..श्रद्धा अपनी जगह है..और भगवान् महीने भर अस्पताल में भर्ती नहीं रहते ..वो स्वमं की इच्छा से महाप्रयाण करते हैं… उने मात्र अध्यात्मिक गुरु माना जा सकता है..और यंहा पर कोई यदि आशाराम बापू का भक्त भी हो तो ये बता दूँ की उनके भी स्टिंग ऑपरेशन टीवी पर आ चुके हैं ..इसके बाद कुछ कहना बाकि नहीं रह जाता”
अपने खुद के जादू ,कथित तौर पर बाबा के कुछ महत्वपूर्ण कामों पर, यदि बोधिक द्रष्टि से देखा जाये, तो भारी पड़ते है | जादू और माया की संरचना से इनको साधा गया था |
डा अनवर जमाल के द्वारा लिखा गया लेख , जिसका शीर्षक था
“बाबा भगवान तो क्या ढंग से बाबा तक भी न थे”;में लिखा है
‘”बाबा डाक्टरों और अपने तीमारदारों की लापरवाही के कारण मर गए और अगर ऐसा न होता तो आज वह हमारे दरम्यान जीवित होते।‘
ऐसा कहने वाले लोग भारतीय दर्शन का ही नहीं बल्कि स्वयं बाबा का भी उपहास कर रहे हैं और स्वयं को अज्ञानी सिद्ध कर रहे हैं।”
“भारतीय दर्शन कहते हैं कि प्रत्येक मनुष्य की आयु उसके प्रारब्ध के अनुसार नियत होती है। मृत्यु अटल है और उसका समय निश्चित है। समय से पहले किसी को भी मौत आ ही नहीं सकती। जब ऐसी बात है तो बाबा की मौत भी समय से पहले नहीं हुई बल्कि समय पर ही हुई है।”
“भगवान का अंशधारी व्यक्ति भी सामान्य नहीं होता कि मौत उसकी मर्ज़ी के बिना ही उसे आ दबोचे।”
“यहां तो भीष्म पितामह की कथा भी प्रचलित है जो कि न पूर्णावतार थे और न ही वह अंशवतार थे बल्कि वह तो कोई सिद्ध बाबा तक भी न थे लेकिन बिना किसी डाक्टर की मदद के ही वह अपनी इच्छा शक्ति के बल पर, जब तक चाहा जीवित रहे।”
“क्या सत्य साईं बाबा के नाम से मशहूर यह आदमी भीष्म पितामह के स्तर का आत्मबल भी न जुटा पाया था ?”
“उनकी मौत बता रही है कि बाबा भगवान तो क्या ढंग से बाबा तक भी न थे। उनकी बेबसी की मौत ने सबके यही सच उजागर कर दिया है।”
मैं अनवर की बात को ऐसे रखूँगा की बाबा का देहावसान उनके द्वरा बताये समय से न होकर मेडिकल सायंस के नियमों से ही हुआ | कैंसर से ग्रस्त साधारण व्यक्ति का अंत ऐसे ही होता है | बाबा काफी समय से चलने फिरने लायक नहीं थे | प्रोस्टेट का कैंसर अक्सर सभी अंगों वृक्क इत्यादि मैं फ़ैल जाता है | आज उनके भक्त इतने उग्र है कि बाबा के दायें हाथ को संरक्षण देने बात सामने आयी | भक्त कह रहे है ५६००० करोड़ के लिए डाक्टर और कथित व्यक्ति मिलकर कब्ज़ा करना चाहते है | यदि विरासत में सेवा मिल रही होती ऐसा कोहराम क्यों होता | अब विरासत मैं अकूत सम्पति हो तो ऐसा होना ही था | इतनी बड़ी दौलत बड़े पैमाने पर उन गरीबों के अधिकार क्षेत्र नहीं है जिनकी सेवा के लिए वे जाने जाते थे | मैं उन भक्तों कि भावनाओ को कोई चोट नहीं पहुचना चाहता वे तो सब सच्चे मन से भोले लोग है वे नहीं जानते कि वे जिस तिलिस्म में है वह वास्तविक नहीं है | बाबा का पूरा जीवन विवादों में रहा तो मौत भी विवादों है | बाबा ने दुनिया के लोगों को जिला दिया पर अपना जीवन व म्रत्यु पर उनका कोई अधिकार नहीं था | उनके सबसे नजदीकी जिसे किसी भी समय बाबा से मिलने कि इज़ाज़त थी खुद बाबा के भक्तो के तनाव के कारण प्रशासन द्वारा संरक्षित कर दिए गए है | मूल रूप से आस्था के रथ पर आरूढ़ कल अपने को भगवान घोषित करने वालों का उदय यदि होता है सत्य साईं का प्रतिबिम्ब उनमे जरुर होगा | आज समाज को और प्रगतिशील होने की आवश्यकता है कि वह सतयुग लेन की हसरत पल कर फिर किसी प्रतीक च्चाम्त्कार की जय जय कर में लग जाये | बजाये इसके कि बड़े अध्यात्म जन्म पुनर्जन्म का हिसाब जोड़ते रहें हमें मानवीय विश्वास पैदा करना है | मानवीय संवेदना ऐसी जगे कि रोटी मेरे चूल्हे पर बने और वह मुझसे तभी खाई जाये जब में किसी भूखे को न खिला दूँ | मुझे जादू से पैदा रोटी का इन्तजार न करना पड़े | मुझे किसी अवतार के दर्शन करने कि अभिलाषा त्याग कर किसी बड़े आयोजन कि जरुरत नहीं बल्कि अपने आस पडोसी कि समय पर सहायता मेरा हाथ हमेशा काम आता रहे | मेरा मन मेरे घर के सदस्यों से आत्मिक आनंद कि अनुभूति दे फिर मुझे स्वर्गिक आनंद कि अभिलाषा ही क्या | मेरे अपने विचार है किसी को पीड़ा देने को बिलकुल नहीं | आपका जीवन आपका है पर हर जीवन का सम्मान जरुरी | मुझे अपने ख़ुशी लाने के लिए बड़े बड़े नहीं चम्ताकारिक नहीं छोटे छोटे मानवीय कार्य अपने आस पास करते रहना चाहिए | मानव ही मानव के काम आये भगवान नहीं चाहिए |

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