Menu
blogid : 441 postid : 324

मुंशी प्रेमचंद – का नमक का दरोगा – आजके अन्ना हजारे

Reality and Mirage of Life
Reality and Mirage of Life
  • 62 Posts
  • 540 Comments

BrownDreamsLeavesमुंशी प्रेम चंद की की कहानिया समाज का प्रतिबिम्ब हुआ करती थी और नमक का दरोगा का पात्र आजके अन्ना हजारे के रूप में प्रस्तुत हुआ | कहानी का सहारा इसलिए लिया क्योंकि ज्यादातर लोगों ने यह कहानी पढ़ी होगी और उस अमर लेखनी का सहारा लेकर बात कम शब्दों में अपने मंतव्य को प्राप्त कर लेगी | जैसे प्रेम चंद का इमानदार दरोगा रिश्वत न लेकर व् निर्भीकता से भ्रष्टाचारी व्यापारी के किसी प्रलोभन व् लालच को नहीं मानता तो उसे समाज में एक दम नायक बना दिया जाता है | इस कहानी में लेखक के वे शब्द बड़े महत्वपूर्ण हो जाते है कि एक घड़ी को लगता था जैसे भ्रष्टाचार कि जड़े हिल गयी सभी लोग मिलकर भ्रष्ट व्यापारी अलोपिदीन की भर्तसना जुट गए थे | इन लोगों में रोज़, कम तोलने वाला दुकानदार , बिना कुछ लिए दिए एक भी कागज न बनाने वला पटवारी और ऐसे ही समाज के अन्य लोग जो खुद नित कही न कहीं भ्रष्ट आचरण में थे वे प्रेम चंद कि भाषा में देवताओं कि तरह सर हिला रहे थे | इस दौर में मीडिया वैसा नहीं था | यदि इलेक्ट्रोनिक मीडिया जो केवल अपने टी आर पी के लिए रोज़ सनसनी खोजता है प्रेम चंद के ज़माने होती तो उसकी हकीकत उस कलम से बयां होती तो कुछ और ही बात होती | इस कहानीमें से जो मैं समझ पाया वह यह था कि हर व्यक्ति दूसरे को बलिदान करके खुद को सुरझित करना चाहते है | हर व्यक्ति यदि अपने स्तर पर भ्रष्ट आचरण को अपने आराम के लिए या आवश्यकताओं कि पूर्ति के अपनाता रहेगा तो अन्ना को समर्थन देने या जन लोकपाल बिल को लेन से भी पूरा काम नहीं बनेगा |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh