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एक सोता समाज

Reality and Mirage of Life
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आर टी आई जोकि जनता को सूचना का अधिकार से सम्बंधित कानून है | यह शायद सही तरह से अमल में आता तो एक क्रांति भ्रष्टाचार के खिलाफ आ जाती | पर जिन ने इस अधिकार को अम्ल में लाकर लोगों के सामने भ्रष्ट चहरे सामने कोशिश की उन्हें एक एक करके हमेशा के लिए सुला दिया गया | अफ़सोस की बात यह है कि जिन लोगों के लिए यानि भारत कि आम अवाम के लिए उन्होंने ये किया वो जनता अख़बार के एक कोने में छपे समाचार पड़कर चुप रह गयी | अखबारों या मीडिया को बिकाऊ और तड़क भड़क मसाला चाहिए जो लम्बी खिची जा सके वो यह कुर्बानिया शायद ही कभी पैदा कर पाए | मंजूनाथन से लेकर सत्येन्द्र दुबे जैसे किसी ने भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते जब इन आजकल के कंसो के हाथों जान देदी तब शायद ही कोई तूफान भारतीय युवा के मन में उठा हो | हाँ क्रिकेट के मैदान की हार युवा मन में मातम पैदा जरुर कर सकती है | मूवी के सितारे कही कही भगवान की तरह मंदिर बनाकर पूजे जाते है | मंजुनाथन और सत्येन्द्र के माँ बाप कुछ धैर्य रख लेते अगर जन मानस उनके दुःख शामिल होकर अच्छी तरह श्रधांजलि ही दे देते | हर आदमी फिक्रमंद जान पड़ता है जब जब भ्रीष्टाचार की बात करो | वाही फिक्र मंद आदमी मुन्नी हो गयी बदनाम या शीला हो गयी जवान की धुनों पर अपना तनाव दूर कर रहा है | अभी अरुण माने जो आर टी आई के समिर्पित कार्यकर्ता है पर जानलेवा हमला किया गया | उससे पहले शेट्टी जोकि अरुण माने के आदर्श थे को मौत के घाट उतार दिए गए थे | अब तक महाराष्ठ्र के आर टी आई के दर्जन भर कार्यकर्ता मारे जा चुके है | पूरे देश में सैकड़ो ऐसे लोग, हम लोगो को भ्रीष्टाचार से मुक्त करने के लिए लड़ते है उनकी हत्या कर दी जाती है | समाज में ये घटनाये आज कोई बड़ा आक्रोश पैदा नहीं कर पाती| आज के भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ किसी तरह की बड़ी मुहीम की हिम्मत न तो मुझमे है न ब्लॉग पर लिखने से शायद दो चार लोग भी कोई प्रतिक्रिया दे पर में अपनी आत्मा को धिक्कारता रहूँगा कि कुछ शब्द भी उन भुला दिए गए शहीदों के लिए न कह पाऊं | आप में से कई लोगो कि लेखन क्षमता को में जनता हूँ कि यदि वे इनके बारे में लिख दे तो लोगो पर एक बार ही सही कुछ असर पड़ेगा | यदि आजका समाज पीड़ा में है तो अपने खुद के आचरण से ही सबसे ज्यादा है | आपके लिए ,अपना जीवन जो लोग निस्वार्थ बिना किसी तमाशा किये लगा देते है उनका बलिदान का गुणगान करने कि फुर्सत किसी को नहीं बची है | शुद्ध पैसे कि खातिर क्रिकेट के भगवान बने व्यक्ति या मुंबई कि मायानगरी के शहंशाह को भारत रत्न कि मुहीम चलने वाले लोग है पर आपके लिए देश के लिए रोज़ अपनी जान गवाते कुछ सिरफिरों के लिए आज शब्द भी नहीं है आज की जनता के पास | शायद आपको भी टोपिक बोर करने लगा हो | में आप पर ही छोड़ता हूँ कि धार्मिक उन्मादों चमत्कारों, तिलिस्मों, टी वी फिल्मों के सपनो में भरमाई जनता क्या इस कल्पना लोक इस लिए गोता खा रही है वास्तविकताओं जमीनी हकीक़त से वाकिफ होने की कुब्बत इस सोते समाज में है ही नहीं |

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