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कैलेंडर फिर से बदल गया है

Reality and Mirage of Life
Reality and Mirage of Life
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Nature

कैलेंडर फिर से बदल गया है
दीवारे  भी अब  बदलेंगी

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समय नए आयाम दिए है
व्यवस्थाये अब बदलेंगी

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युवा शक्ति का उदय हुआ है
करवट सोच की  भी बदलेगी

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मुक्त जड़त्व से होने की कसमसाहट है
तपस  ज्ञान की चहु और सुलगेगी

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अंधकार ने सूरज को जैसे ढाप दिया था
तम से ही अब नई चिंगारी निकलेगी

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nature009

नए साल के गीत नए हों

बिछड़े मिले जहाँ भी मीत हों
हवा में रिश्तो की मिठास हो
कोयल की अब कूक खास हो
हर बच्चे के ओंठ पर मुस्कान हो
बहुरिया के दिल में आस हो
किसान की फसलों में शान हो
युवा के दिल में  एक आग हो
बुजुर्ग की आँख में एक आस हो
दुनिया में भारत का प्रकाश हो
खुशिओं को दूर तक सैलाब हो
पैसा कैद से निकले सबके पास हो
जिंदगी के असली हीरो का अब सम्मान हो
कुछ के पास नहीं सबके पास धन धान हो
ख्वाबो की धरती पर खुले असमान हो
आपको मुझको सबको स्वर्णिम यह साल हो

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