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गैरों ने दिए जो जख्म

Reality and Mirage of Life
Reality and Mirage of Life
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nature012

गैरों ने जो  दिए जख्म,
आजकल में  भरे  जाते हैं
अपना बनके,  यूँ  किया
ख्याल मुझे, हल्कान है किये जाते हैं

.

.

लुटा गया सरे बाज़ार
इस  बात का शिकवा नहीं
परेशां इससे हूँ
लूटने वालों में, पहले लुटे है कई
शिकार जो थे, खुद बने
आज शिकारियों के साथ हैं
नए शिकारियों  की इस तरह
बन गयी जमात है

.

.

सवाल  खुद से ही,
पूछती है जिंदगी
आज रहबर है क्यूँ वो
जिनकी कैद में थी जिंदगी कभी

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