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अमेरिका के राष्ट्रपति आये है और ताज में ठहर गए बड़ी बात हो गयी ,उन्होंने जताने की कोशिश की कि वे भारत के दर्द को महसूस करना चाहते है क्या ही अच्छा होता उसी रास्ते से आते जिससे भारत के गुनाहगार पाकिस्तानी आतंकवादी आये थे | शायद वे उनके नज़रिए और वाकिफ होकर उन्हें अपने उद्देश्य के लिए समर्पित लोग बता देते | भारत आने से पहले पाकिस्तान को रेवड़ी बाँट कर आये ओबामा पूरे ब्यापारी के उन गुणों से लिप्त है जैसे कि कोई दुकानदार ग्राहक की व्यक्तिगत संवेदनाओ में घुसकर अपने मॉल को बेचने कि कोशिश करता है | दुकानदार को आपके दुःख दर्दों से कोई सरोकार नहीं होता व उसका उद्देश्य पूरा होते ही वह सब कुछ भूल जाता है | ओबामा एक छली कि तरह जिस देश में जायेंगे वहीँ के रंग में रंग जायेंगे | जब सब लोग व मीडिया जनता है कि निराश्रित बच्चों से मिलना , एक स्कूल में विद्यार्थिओं के सवालों का जबाब देना, ठुमका लगा देना महज नाटकबाजी है | मतलब कि बात पर मामला बिलकुल गोल है यानि भारत पाकिस्तान को हर हालत में एक तराजू पर रखता है | मकसद एकदम साफ है कि हथियार खरीदो, फौजी विमान खरीदो, भावनात्मक ब्लैकमेल इसलिए किसी और से न खरीद लो , | चालाकी इस कदर कि बनी बनाई खिचड़ी खाने से मतलब रखो यह मत पूछो बनाई कैसे है यानि तकनीक नहीं स्थान्तरित नहीं करेंगे | व्यापारिक समीकरणों में बड़े भारतीय ओधोगिक घराने अपने जुगाढ़ ढूंढ रहे है| भारत की प्राथमिकता, जब सबसे अंतिम व्यक्ति को खाना, स्वस्थ्य, शिक्षा पर प्रभावी खर्च करने पर होना चाहिए तब अमेरिका का जादूगर युद्ध का बारूद खरीदने का न्योता दे रहा है जिससे उसके यहाँ के बेरोजगार कम हो जाये | अमेरिका का हित हमेशा इस इलाके में तनाव व् वैमनस्य बने रहने से सिद्ध होता है | जंग हिंदुस्तान पाकिस्तान में हो और हथ्यार अमरीका का इस्तेमाल हो तो व्यापार अमेरिका का ही बढे | ऐसे में कोई समाधान अमेरिका निकलेगा यह सोचना शेखचिल्ली के ख्वाब जैसा है | ९/११ और २६/११ की तारीखों जो अंतर है ऐसा अमरीका मानता है | आतंकवाद अमेरिका के खिलाफ तो आतंकवाद यदि भारत के खिलाफ तो हादसा |हथियारों के बड़े पैमाने पर खरीद तमाम बिचोलिओं दलालों कि सेहत के लिए भी फायेदेमंद है और सरकार बैठे लोगो के खजाने भर सकती है | जरुरत है हिंदुस्तान के बढ़ते अर्थ का उपयोग पहले विकास हमारे पीछे छुट गए ,कर्ज न चुकाने पर आत्महत्या करते व्यक्ति का हो तब अमेरिका के अपने हित साधने वाले माल कि अंधाधुंध खरीद को देखा जाये | मीडिया वाले इस चतुर व्यापारी की हर पल की तस्वीर दिखाकर बिना मतलब यात्रा को तूल दे रहे है जबकि शायद ही कुछ गंभीर यहाँ घटित होने जा रहा है | एक चतुर प्रेयसी अपने हर प्रेमी को यह विश्वास दिला देती है कि जो भी उसके साथ होता है उसे केवल अपना मान लेता है जबकि उसके(प्रियेसी) लिए सबको वे सब बेबकूफ़ बनाने का साधन होते है | इस सपनो के सौदागर को विदा करके शायद मिडिया कुछ दिन में सो जायेगा पर जनमानस को जागते रहना होगा ठीक से देखते रहे कि आर्थिक प्रगति पर देशवासिओं का हक है और यह किसी दुसरे के बेरोजगारी दूर करने नहीं अपने यहाँ रोटी कपडा मकान बनाने के काम आये |
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