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इन्सान जब खड़ा हुआ -सन्दर्भ – विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

Reality and Mirage of Life
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Dr rajeev1
इन्सान जब खड़ा हुआ
दिमाग सबसे ऊपर हुआ
दिल जिगर गुर्दे नीचे रहे
चोपाओं में ये बराबर रहे
एक बखेड़ा खड़ा हो जाता है
जब पानी सर से गुजर जाता है
दिमाग जब गडबडा जाता है
तो इल्जाम आदमी पे आ जाता है
दिल जिगर या गुर्दे हों खराब
तो इलाज के साथ हमदर्दी ले जनाब
गर कुछ दिमाग में हो गलती
फिर झप्पी कहीं नहीं मिलती




फ्लोरेंस नाईटएंगल घायल सैनिको को उजाला दिया था
उसके जीवन मैं भी डिप्रेसन का अँधेरा का घना था
रामानुजन ने ज्यामित कुंडलियो को जैसे भेद दिया था
पर स्किजोफ्रेनिया ने उसके कदमो को जंजीरों से जकड दिया था




आज सोच कुछ बदलनी होगी
नई खोजो के साथ कदम ताल अब करनी होगी
अमरीका की सिल्विया पूरा जीवन नया साहित्य लिख सकती थी
रामानुज की मेधा ज्यामित की कुछ और नई परिभाषा लिख सकती थी




अब विज्ञानं ने असमान में कुछ छेद किये है
डिप्रेसन स्किजोफ्रेनिया के कारण ढूंढ़ लिए है
सोचने के आयाम समय के साथ बदलने होंगे
इन तकलीफों के इलाज अब करने होंगे
कुछ नए असमान तलाशने होंगे
उनमें दिमाग के परिंदे उडाने होंगे





स्किज़ोप्रेनिया – मानसिक विखंडन वाला रोग
डिप्रेसन – अवसाद एक मानसिक रोग

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