Reality and Mirage of Life
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विश्व आत्महत्या निवारण दिवस १० सितम्बर
उस दिन
जो सुन लेते
मेरी पीड़ा
और
बढ़ा देते
हाथ जो अपना
एक
जीवन बच
सकता था
भावुकता का
वो पल
शायद उस दिन
टल सकता था
मेरी गुहार को
यूँ ठुकरा दिया
एसा न होगा अपने
को समझा लिया
वो लब्ज
बिलकुल असली थे
मैंने
अभिनय नहीं किया था
पर तुमको
विश्वास नहीं था
मन अन्दर
कसमसा रहा था
आत्मविश्वास तार तार
मेरा संसार
डगमगा रहा था
दरवाजे बंद
गुम थे रास्ते
कोई मंजिल नहीं थी
मेरे वास्ते
मैंने इच्छा से मौत को
नहीं बुलाया
कोई विकल्प न पाकर था
यह कदम उठाया
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