Reality and Mirage of Life
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आईने ढूढते है
चेहरे मिले कहीं मिले
ऊपर पड़ी धुंध से
रहत कभी मिले
रूहें भी न जा सकी
मुझसे बिना मिले
अब तो कहीं
एक इन्सान यहाँ मिले
आते तो बहुत है
आदमी वो नहीं
मुखोटे ही मुखोटे है
चेहरे वो नहीं
बेईमानी के रंग
है बिखरे हर कहीं
इंसाफ के तख़्त
नीलाम हर कहीं
तारीख पर तारीख है
पर फैसले नहीं
ताउम्र इंतजार कुछ इस तरह रहा
अगली उम्र मे अब उम्मीद कुछ नहीं
आईने ढूढते है
चेहरे मिले कहीं मिले
ऊपर पड़ी धुंध से
रहत कभी मिले
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