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कौन कहता है उन्हें
मेरी फिकर नहीं
मेरे नंगे तन और भूखे पेट
की उनको खबर नहीं
व्योरे वार दर्ज है सब
उन किताबों में
दिला देते है जो
बुकर खिताबो में
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कडकडाती सर्दी में
मेरी अस्थिओं की हडकंप
बरफ सी जमी मेरी आँखों
वाला मेरा चेहरा
उतर लिया जाता है; केमरों में
साफ आवाज व चेहरे की हर लकीर के साथ
और मेरी गरीबी लाचारी
शामिल हो जाती है
पुरुस्कार पाने वाली
कलात्मक फिल्मो की दौड़ में
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अपने नंगे बदन भूखे पेट
के फोटो देखकर मैं इतरा सा जाता हूँ
समझ नहीं पता हूँ ये तिलिस्म
कब तक बहलायेगा
और मुझे खुश रख पायेगा
फिर से कोई मेरा अपना
कर्ज न चूकाने के एवज मैं
कब मौत को गले लगाएगा
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ये मौत भी फोटो किताब डोकु मेंट्री मूवी
बनकर बिक जाएगी
मेरी नंगी काठी भूखे पेट की बाती
फिर तुम्हारे काम आयेगी
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मेरी तिजारत यूनेस्को संरक्षित
खंडहरों मैं आती है
जिन्हें जैसा का तैसा रखने की मुनादी है
और कुछ भी न बदलने की यहाँ परिपाटी है
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