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बाबा रामदेव उवाच

Reality and Mirage of Life
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बाबा के बारे में , एक बार मैंने यूँ ही कह दिया था, कि अगर बहुत ज्यादा चमत्कार है बाबा मैं, तो पहले अपनी एक आंख जो कम खुलती है उसे ठीक करके दिखाये | तब से मेरे आस पास के लोग उस बात को उक्ति तरह दोहराते है | कभी कभी गलत पता लिखे लिफाफे सही जगह पहुच जाते है | शायद लालू का एसा ही एक गलत लिफाफा रामदेव बाबा के पते पर सही बात के साथ पहुच गया | उसमे बाबा के केंसर को सही करने के दावे को अपनी चिर परचित अंदाज़ व मजाकिए लहजे मैं खारिज किया गया था | बाबा की राजनितिक इच्छा और चुनाव मैं कूदने को कुछ लोग क्रांति मान सकते हैं पर मुझे राजनीत और अध्यात्म के इस कायांतरण ने राजनीत और अपराधियो के समय के साथ बदलते समीकरण ध्यान आ गए |
हमारे जिले के अबू भाई की दादा गिरी के जरिये गोपाल बाबु लगातार चुनाव जीतते जा रहे थे |, एक दिन अबू भाई के सपनो मैं खुदा खुद आये बोले वोट तुम डलवाते हो मंत्री गोपालजी बन जाते हैं| तब वे तुम्हे सार्वजनिक जगह साथ भी नहीं ले जाते | अबू भाई ने खुदा से फोरन पूछा क्या करू , ऊपर से आवाज़ आयी सफ़ेद कुरता पायजामा सिलवा लो अगले चुनाव मैं खुद खड़े हो जाओ | तब से दादा अबू भाई सत्ता मैं हैं | गोपाल जी पता नहीं क्या क्या पी पी के अपने को कोस रहे है , क्यों अपने साथ लिया इस अपराधी को |
बाबा तो चमत्कारीहै व दिव्यद्रष्टि के खुद मालिक है | उन्हें कोई प्रेरित क्या करेगा, समझ गए हैं कि नेता उनके नुस्खो पर विश्वास करके नहीं, बल्कि उस हुजूम के लालच मैं आजाते जो उनके तिलिस्म ने जोड़ रखा है | योग शिक्षा एक सायंस है व उसे सीखने वाले अच्छे विद्यार्थी होने चाहिए पर बाबा का कमाल है कि रोल बदल कर बाबा चमत्कारिक पुरुष व विद्यार्थी अन्ध्श्रधा अपनाने वाले भक्तो मैं तब्दील हो गए | सभी सूबों के मंत्री संत्री बाबा की भीड़ को अपना वोट बैंक भुनाने आते तो बाबा अपना पासा फ़ेंक देते | अबू भाई जैसे मोटी बूढी और पिस्तोल की भाषा जानने वाले तो है नहीं जिनको अक्ल बहुत बाद मैं आयी |उन्होंने अपना इस्तेमाल राजनीतिको द्वारा होने दिया | बाबा नेताओं को साथ साथ कैश करते गए | नाम मात्र पैसो मैं बेशकीमती ज़मीन किसी पीठ (क्या फर्क पड़ता है इस नाम या उस नाम से)के नाम से लेली | नेता अपनी छवि सुधारने कि गरज मैं भीड़ जहाँ जय जय कार कर रही हो वहीँ पहुच जाते हैं | जब उन्हें पता लगा की बाबा योग की सीडी से फायब स्टार आश्रम व समुद्र मैं पूरा टापू खरीद लेने से संतुष्ट नहीं उसे राजनितिक ताकत भी चाहिए तो उनके होश उड़ने की स्थति बन गयी हाथ के तोते उड़ने लगे | जो नेता बाबा जी को साष्टांग थे और बाबा की हर हरकत को देश की धरोहर मान रहे थे अचानक मोहभंग की स्थति मैं थे |
सिर्फ बाबा को ही दोषी मानते रहे तो भी बड़ी बे इंसाफी हो जाएगी | शुद्ध व्यापारिक विज्ञापन भी कभी कभी सन्देश दे जाते है , एक चाय को बेचने वाले विज्ञापन मैं वे जागाते रहते हैं , इस लाइन के साथ, ये लोग इतना खाते (रिश्वत ) क्यों हैं ………क्योंकि हम इन्हें खिलाते है | जब बिना कुछ करे धरे सब कुछ पाने की इच्छा हर आदमी पाले हुए है | हर आदमी उत्सुक्त है की उसके भविष्य की बात आज ही पता लग जाये | तो वैसे लोग भी होंगे जोइस भ्रम को भी बेचेंगे | जिंदगी की मृगमरीचिका मनुष्य को साक्षात् दिखने वाले संसार के आलावा अद्रश्य व अलौकिक संसार मैं भटकाती रहती है | मानव मष्तिष्क की इसी अशक्ति पर क्न्द्रित है वह अद्रश्य संसार जिसकी खरीद फ़रोख्त वाले हमेशा तैयार रहते है | जाने कब से ,आध्यात्मिकता या धार्मिकता के माध्यम से, मोक्ष स्वर्ग के प्राप्ति के लिए तमाम कर्मकांड करवाने वाले लोग रहे हैं , पर वर्तमान का व्यपारीकरण तब नहीं था | आज धर्म व अध्यात्म जैसे प्रपंचो जरिये पैसे उगाने के आगे सारे जाने माने व्यवसाय फेल हैं |
जिस चीज की आवश्यकता समाज मैं है वे चाहे वास्तविक हैं या अवास्तविक असली हैं या नकली तन की हैं या मन की उसे पूरा करने के लिए एक व्यवस्था पैदा हो ही हे जाती है | किसी के बारे मैं कभी हाथ देखकर कभी माथे की रेखा देखकर सही कैसे बताया जा सकता है ? मैं भी यही सोचता था पर मनोवैज्ञानिक तथ्य यह है लोगों को वाक्यों के लच्छेदार भाषा का कोई भी व्यंजन परोस उन्हें लगता है जैसे उनके लिए बना है | क्या आप जानते है कि एक लम्बी अँधेरी गुफा से लोगो को गुजरते समय लोगो से यह कहा जाये कि सामने दीवार पर उन्हें हल्का उजाला दिखेगा तो जयादातर लोग इस बात से इत्तेफाक करते हैं कि एसा हुआ, जबकि कोई रौशनी वहां नहीं होती | जब मोक्ष व जन्नत जाने वालों की भीड़ लगी हुई तो उसका टिकेट काटने वालों को दोष देना भी कठिन हो जाता है | गंगू का बेटा बोहरे जो मानसिक असुंतलन का शिकार , मैं जनता हूँ पाँच सौ रुपये की दवा मैं सही हो जायेगा वो हनुमान बब्बा का पक्का चबूतरा पण्डे के कहने पर बनवाने पर हजारो रुपये उधार लेकर लगा देता है | तथाकथित धर्म के नाम पर करोडो के मुकुट अपने इष्टो को चढ़ाकर पैसे के दम पर आस्था सिद्ध करने का खेल, आई पी एल के क्रिकेट खेल से , कारोबारी लिहाज से ज्यादा नजदीक नजर आता है | मिलियन ट्रिलियन डालर आदान प्रदान वाले बिना आकलन वाले व्यवसाय मैं धर्म क़ी गतिविधि उसी तरह लिप्त है जैसे वैश्याब्रत्ति व ड्रग का धंधा | धर्म मैं कर्मकांडो का व समाज मैं रिवाजों का मायाजाल ऐसा फैल गया है की सभी इससे अभिभूत हैं | मानस पटल ड्रामेबाजी का इतना अभ्यस्त हो चूका है असली जिंदगी विषयों से इसका सरोकार खत्म होकर, चमत्कारों दैवीय शक्तिओं पर आकर टिक गया है | योग किसी वर्तमान जीवित व्यक्ति द्वरा इस संसार को नहीं दिया गया व इसको जानने वाले एक दो व्यक्ति नहीं हो सकते | योग एक सायंस है और इसे सिखाने के लिए पठाई के कोर्से विभिन्न विश्विद्यालय मैं है | योग की विभिन्न विधिंयां यहाँ कही भी सीखी जा सकती पर ड्रामा व चमत्कार विहीन वातावरण के कारण वहां इने गिने जागरूकता वाले ही पहुँचते हैं | मानव जाति का बड़ा हिस्सा अभी भी दो वक्त रोटी के लिए मोहताज है ऐसे मैं योग के नाम पर कृत्रिम स्वर्ग जैसे अरबों खरबों की योग पीठ बनवाना एक दंभ को पूरा करना मात्र हो सकता हैं | कोई भी धर्म अध्यात्म यदि इस मानव भूख को भूलकर अनुयायी लोगों को भवसागर पार कराने के नाम पर उन्हें तंत्र मंत्र पूजा करवाता है तो वह शायद मानव सेवा के मूल धर्म उन्हें भटका रहा है | जीवन के यथार्थ और मृग्मरिच्का के बीच झूलता मैं कल फिर मंदिर जाऊंगा पर उद्देश्य न तो इस जीवन या उस जीवन मैं अपने कुछ प्राप्त करना नहीं होगा| मैं संकल्प करूँगा मनुष्य चाहे कहीं किसी नस्ल जाति का हो उसके कष्ट को कहीं भी कुछ भी कम कर पाऊं तो मैं बिना अगले जन्म के लिए कुछ बिना किये भी कम से कम इस जन्म मैं संतुष्ट रहूँगा |

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