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स्वप्नों का अपना एक संसार होता है क्या ये यूँ ही आते रहते हैं या इनके पीछे कोई रहस्य हैं सिग्मंड फ्रायड ने सपनो के विश्लेषण से कई तथ्य सामने लाये . उसने बताया कि व्यक्ति जो चेतना में पूरा नहीं कर पाता उसे अचेतन मैं पूरा करता है | स्वप्न अचेतन को समझने का मुख्य द्वार है | हर मनुष्य मैं दबी हुई भावनाएँ होती है जिन्हें वो जमीनी धरातल पर पूरा नहीं कर पता तो वो कभी मन ही मन सोचकर दिवा सव्प्नो मैं खो जाता है | मन मैं दबी भावनाओ को यदि व्यक्ति व्यक्त नहीं कर पता तो वह सपनो मैं आ जाती है | मनुष्य के वे विषय जो बेहद निजी होते है जैसे सेक्स वे यदि संतोष प्रद संतुष्टि को प्राप्त न हों तो कहीं न कहीं सपनो मैं उनका भ्रमण बना रहता है| सिग्मंड फ्रायड के लिए सेक्स की उत्पति केवल शैशव काल मैं न होकर जन्म की शुरुआत से हो जाती है| हर बच्चा या बच्ची अपने विपरीत लिंग के यानि बच्चा माँ से तथा बच्ची पिता से वयस्क स्त्री पुरुष सम्बन्ध वाले प्रेम से ग्रसित रहते हैं |बच्चा चूँकि माँ से प्रेम मैं है अतः माँ को प्यार करने वाले पिता से उसकी जानी दुश्मनी होती है | धीरे धीरे पिता के घर मैं सर्ब शक्तिमान होने का अहसास उसे पिता से विरोध छोड़कर उन्ही जैसा बड़ा व् बलशाली होने को प्रेरित करता है| जिससे वह बाद मैं माँ जैसी लड़की से वह सम्बन्ध स्थापित कर सके.| यदि बच्चा लड़की है तो वह पिता को प्राप्त करना चाहती है व हकीक़त मैं ऐसा होता न देखकर वह भी अपनी माँ से अपने को पहचानने लगती है| इस तरह की भावनाओ का सफलता पूर्वक पूरा हो जाना यानि लव ऑब्जेक्ट का सही प्रकार से स्थानांतरित हो जाना सही प्रकार के वयस्क रिश्तो के लिए आवश्यक रहता है | जीवन की भावनात्मक कमिओं व रिश्तो को ठीक से न बना पाने मैं जीवन के शुन्य से पाँच वर्ष की सेक्सुअल लाइफ का ठीक ठाक अपने पूरा न हो पाना माना गया है | भारतीय समाज मैं सेक्स का जिक्र सही नहीं माना जाता तथा इस पर तरह तरह की वर्जनाये हैं अतः चाहते हुए भी सिग्मंड फ्रायड के विस्तृत काम को ब्लॉग मैं नहीं लिखा जा रहा है | यदि ब्लॉग के प्रति कुछ जिज्ञासा सामने आएगी तो पूरी सामिग्री पुनः हाजिर होऊंगा |
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