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प्रिय विद्यार्थिओं
परीक्षा नजदीक है तथा तनाव भी चरम पर!
खबरे आना शुरू हो जाती हैं कि छात्र ने हताश होकर अपनी जान ही दे दी!
इस परीक्षा को उस सीडी की तरह समझना होगा जो मंजिल मैं पहुचने मैं मदद करती है पर स्वयं
मंजिल नहीं होती ! ऐसे ही जिस परीक्षा को आप जिंदगी और मौत का सबब बनाये हैं वह मह्त्वपूर्ण
होते हुए भी आपकी जिंदगी का फैसला करने वाली नहीं हो सकती ! तनाव की कुछ मात्रा हानिकारक नहीं होती
इसलिए इसमें बने रहिये और उसका फायदा उठाइए ! आपका भविष्य किसी एक परीक्षा से कभी निर्धारित नहीं होता !
जीतना जिंदगी को है परीक्षा को नहीं और इसके लिए बहुत कुछ ऐसा जज्बा पैदा करना है कि
कि यह दुनिया याद करे ! उसके सामने जो परीक्षा रुपीं पैमाना है वह काफी छोटा है !
ज़माने और जिंदगी मैं वे लोग सफल जरुर हुए है जो बराबर अव्वल आये,पर बुलंदियों पर वे ही पहुंचे जो असफलताओं से कभी नहीं डरे!
इतिहास बता सकता है कि अपने समय महान वैज्ञनिको तथा खोजी व्यक्तियो को उस समय के परीक्षा तंत्र असफल माना !
यदि आइन्सटाएंन न्यूटन भी परीक्षाओं की असफलता से डर जाते तो आज सायंस और समाज को कितना अफ़सोस होता!
इन सभी दीवानों को अपने पर पूरा विस्वास था और समय ने बताया ये सही थे!
आज आप हैं और सामने परीक्षा उसके प्रश्नों को सुलझाना है ना कि अपनी जिंदगी को लगाना !
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आपका ही राजीव
प्रिय विद्यार्थीओं
मैं नहीं जनता आपके पास ब्लॉग पड़ने का समय है पर आपके शुभचिंतक जरुर पढ़ रहे होंगे उनसे गुजारिश है कि विद्यार्थीओं को सही नज़रिए से परीक्षाओं
का सामना करने मैं मदद करे!उनमे अवसाद के लक्षणों को देखते रहे निराशा के ज्यादा बदने पर आत्महत्या जैसे विचारो होने पर मनोचिकित्सक से मिलना भी जरुरी हो जाता है ! सकारत्मक सोच परीक्षा मैं बनाये रखना अत्यंत अवशयक है ! इस समय विद्यार्थी अधिक भावुक हो जाते है !अभिवाभावक कोई उलहना यह कहकर न दे कि तुम नालायक हो फेल हो जागेओ!
अभी विद्यार्थिओं की ही नहीं मां बाप के भी धैर्य की परीक्षा होती है
अपने अतिअधिक सपनो को बच्चो द्वारा पुरे करने का दवाव
परीक्षा का भुत बढाने के लिए काफी है इससे बचे
आपका ही राजीव
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