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आज एक टीवी चेनल द्वारा एक तथाकथित थ्रेपिस्त द्वारा परीक्षा के टेंशन को दूर करने के नाम पर आग के ऊपर चलाने की घटना दिखाई गयी! उसकी दलील थी कि इससे छात्रों का motivation बढेगा ! जिंदगी को आग का दरिया और उसे तैर के पार करने की नसीहत वाली एक शायर की लाइनों को इस तरह अजमाया जायेगा यह सोच से बाहर की चीज है! दिल्ली मैं ऐसी घटना का होना तो एसा ही है जैसे रामायण मैं सीता की अग्नि परीक्षा को दोबारा, इस युग मैं कोई आशचर्य नहीं, लोग आजमाने लगे! हैरानी है कि कोंसेलिंग की जगह adventure हो रहा है !कई पैर जला चुके छात्र भी फिलहाल हंगामे मैं खुश नज़र आये पर उन्हें नहीं मालूम की जो सैकड़ो लड़के लडकिया अभी एक दुसरे के सामने दर्द महसूस नहीं कर रहे वे कल से जले पैरों का दर्द भी सहेंगे और इलाज भी करायेगे! ऐसा दीवानापन भले एक पल राहत देदे पर जो समय इस सब मैं बर्बाद हुआ वह क्लिष्ठता बढाएगा और टेंशन मुक्त होने की बजाये अतिरिक्त अवसाद दिमाग मैं बैठेगा!परीक्षा मैं appear होने वाले छात्र सबसे पहले अपनी बात खुलकर घरवालो के सामने रखे अपने बहन भाई जो इस तरह की कई परीक्षा दे चुके हैं उनसे बात करें ! डर लगता है कि आज तो पैर जले हैं कल किसी बातो मैं आकर कोई अपने लिखने वाले हाथ ही न जला बैठे!
सागर से आपका राजीव
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